Shodh Sangam Patrika

Shodh Sangam

Patrika

A National, Peer-reviewed, Quarterly Journal

  ISSN: 3049-0707 (Online)
ISSN: 3049-172X (Print)

Call For Paper - Volume - 2 Issue - 2 (April - June 2025)

Peer Review Process

शोध संगम: पीयर रिव्यू प्रक्रिया

पीयर रिव्यू (समीक्षा) प्रक्रिया शोध संगम में प्रस्तुत शोध-पत्रों की गुणवत्ता, मौलिकता और सटीकता सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण चरण है। यह प्रक्रिया लेखकों को वैज्ञानिक मानकों के अनुरूप अनुसंधान प्रस्तुत करने में सहायता करती है। निम्नलिखित बिंदुओं में पीयर रिव्यू प्रक्रिया का विस्तृत विवरण प्रस्तुत है:

1. प्रारंभिक जांच

•  सभी प्रस्तुत पांडुलिपियों को सबसे पहले प्रारंभिक जांच से गुजरना होता है। इस चरण में संपादकीय टीम यह सुनिश्चित करती है कि शोध-पत्र का विषय, लेख संरचना और फॉर्मेटिंग दिशानिर्देशों के अनुसार हो। प्रारंभिक जांच के दौरान, साहित्यिक चोरी (प्लैजियरिज्म) का भी परीक्षण किया जाता है ताकि लेख की मौलिकता सुनिश्चित की जा सके ।

2. संपादकीय निर्णय

•  प्रारंभिक जांच के बाद संपादक तय करते हैं कि पांडुलिपि समीक्षा के योग्य है या नहीं। यदि लेख मानदंडों पर खरा उतरता है, तो उसे समीक्षा प्रक्रिया में आगे बढ़ाया जाता है। यदि पांडुलिपि दिशानिर्देशों पर खरी नहीं उतरती, तो उसे आवश्यक सुधारों के साथ लेखकों को वापस भेज दिया जाता है।

3. समीक्षक का चयन

•  उपयुक्त विशेषज्ञता वाले स्वतंत्र समीक्षकों (रिव्यूअर्स) का चयन किया जाता है। यह चयन मुख्य रूप से शोध-पत्र के विषय और समीक्षक के अनुभव के आधार पर होता है। शोध संगम डबल-ब्लाइंड रिव्यू पद्धति का उपयोग करता है, जिसमें लेखक और समीक्षक दोनों एक-दूसरे की पहचान से अनभिज्ञ होते हैं। इस प्रक्रिया से निष्पक्ष और वस्तुनिष्ठ समीक्षा सुनिश्चित होती है 。

4. समीक्षा प्रक्रिया

•  समीक्षकों को शोध-पत्र की निम्नलिखित मानदंडों पर जांच करनी होती है:

•  मौलिकता: लेख की मौलिकता और नया दृष्टिकोण होना अनिवार्य है।

•  महत्व और प्रासंगिकता: शोध का क्षेत्र में योगदान कितना महत्वपूर्ण है।

•  शोध पद्धति: प्रयोगात्मक डिजाइन, डेटा संग्रहण और विश्लेषण का सही और वैज्ञानिक होना आवश्यक है।

•  स्पष्टता: लेख की भाषा, व्याकरण और प्रस्तुतिकरण स्पष्ट और संगठित होना चाहिए।

•  सटीकता: निष्कर्ष और सुझाव यथार्थवादी और व्यावहारिक रूप से सटीक होने चाहिए।

5. समीक्षा रिपोर्ट और सुझाव

•   समीक्षा के बाद, प्रत्येक समीक्षक अपनी समीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत करता है। इसमें वह लेख की कमजोरियों और सुधार योग्य पहलुओं का विवरण देते हैं। समीक्षक निम्नलिखित सुझाव दे सकते हैं:

•  स्वीकृत: यदि लेख मानकों के अनुसार है, तो उसे बिना किसी संशोधन के स्वीकार कर लिया जाता है।

•  सुधार के बाद स्वीकृति: यदि कुछ सुधार आवश्यक हैं, तो लेखकों को सुधार का अवसर दिया जाता है।

•  पुनः सबमिशन: लेख को व्यापक संशोधनों की आवश्यकता हो, तो लेखक को पुनः प्रस्तुत करने के लिए कहा जाता है।

•  अस्वीकृत: यदि लेख मानकों के अनुरूप नहीं है या सामग्री में गंभीर त्रुटियाँ हैं, तो इसे अस्वीकृत कर दिया जाता है।

6. लेखक द्वारा सुधार और पुनः सबमिशन

•   यदि लेख को सुधार के साथ स्वीकार किया गया है, तो लेखक सुधारों के साथ संशोधित लेख को पुनः प्रस्तुत करते हैं। लेखक को समीक्षा रिपोर्ट में बताए गए सभी सुझावों का पालन करना होता है, और इस प्रक्रिया में उन्होंने किन बिंदुओं को ठीक किया, इसका विवरण भी देना होता है।

7. अंतिम निर्णय

•   संशोधित लेख को समीक्षकों द्वारा फिर से जांचा जा सकता है, और अंतिम निर्णय संपादक द्वारा लिया जाता है। संपादक इस बात का ध्यान रखते हैं कि लेख सभी आवश्यकताओं और सुझावों को पूर्ण कर चुका है और प्रकाशन के योग्य है।

8. प्रकाशन पूर्व तैयारियाँ

•  स्वीकृति के बाद, पांडुलिपि को प्रकाशन के लिए अंतिम प्रारूप में तैयार किया जाता है। इसमें संपादकीय टीम लेख के फॉर्मेटिंग, रेखांकन, टेबल, और अन्य दृष्टिगत तत्वों की जांच करती है ताकि यह प्रकाशन के लिए तैयार हो सके ।

9. प्रकाशन और प्रमाणीकरण

•  सभी आवश्यक संशोधनों और फॉर्मेटिंग के बाद, लेख को प्रकाशित किया जाता है और लेखकों को “प्रकाशन प्रमाण पत्र” जारी किया जाता है। प्रकाशित लेख को ऑनलाइन संग्रह में जोड़ा जाता है ताकि अन्य शोधकर्ता इसका लाभ उठा सकें।

पीयर रिव्यू प्रक्रिया शोध-पत्रों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण चरण है, जिससे शोध संगम में प्रस्तुत लेख विश्वसनीय, मौलिक और उच्च-स्तरीय बने रहते हैं। यह प्रक्रिया न केवल लेख की वैज्ञानिक सटीकता को सुनिश्चित करती है, बल्कि लेखकों और समीक्षकों दोनों को ज्ञानवर्धन और सुधार का अवसर भी प्रदान करती है।